Ram Chandra Prasad Singh
  • होम
  • जानें
  • अपडेट
  • जुडें

बर्धमान कथा : 3, अब जिगर थाम कर बैठो मेरी बारी आई

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra Dr Dinesh kumar Mishra
  • December-31-2018

समाज सेविका महिला के बाद एम.डी. साहब मेरी ओर मुखातिब हुए और मुझसे बुनियादी जानकारी हासिल की. घर-द्वार, पढ़ाई-लिखाई और जो भी वह जानना चाहते थे, मुझसे मालुम किया. फिर एकाएक पूछा कि तुम्हारी शादी हुई है? मुझे लगा कि उन्होंने यह सवाल मुझसे इसलिए पूछा होगा क्योंकि मुझसे पहले की समाज सेविका से इस विषय पर उनकी कुछ ज्यादा ही बातचीत हो गयी थी. मैंने उन्हें बताया कि मेरी शादी अभी नहीं हुई है. उस समय मेरी उम्र 35 साल रही होगी. मेरा जवाब सुनते ही उनके चहरे पर ख़ुशी की झलक दिखाई पड़ी. वह अपनी कुर्सी से उठ कर खड़े हो गए और हंसते हुए मेरी तरफ अपना हाथ बढाया मिलाने के लिए और बोले,

“मिश्र बाबू, तुमसे मिल कर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है, क्योंकि तुम भी मेरी तरह ही बैचलर हो. तुम्हारे जैसे लोग इस उम्र में बहुत कम ही बचे होंगें."

मुझे लगा कि मैं बाकी लोगों के मुकाबले सस्ते में छूट जाऊँगा. दुर्भाग्यवश यह मेरी ग़लतफ़हमी थी.

हाथ मिला कर एम.डी. साहब अपनी कुर्सी पर मुस्कुराते हुए बैठे जिससे मेरा आत्मविश्वास थोडा और बढ़ गया. फिर एकाएक उनके चहरे पर गंभीरता आयी और बोले, “जानते हो, इस देश ने आखिरी बैचलर जो पैदा किया था, वह थे स्वामी विवेकानंद. उसके बाद कोई बैचलर इस देश में पैदा नहीं हुआ और जो पैदा हुए वह सब भेजाल माल (दो नम्बरी माल) हैं. मेरे और तुम्हारे जैसे. मैं कितना बैचलर हूँ, यह मैं जानता हूँ और तुम्हारे बारे में अच्छी तरह से अनुमान लगा सकता हूँ. मुझसे कहा तो कहा, मगर यह बात किसी और से मत कहना. “हुंह, बैचलर हूँ.” मेरा सारा आत्मविशास वहीँ काफूर हो गया और मुझे डर लगा कि यह आदमी अब मेरी और भी ज्यादा गत बनाएगा. भाग्यवश ऐसा हुआ नहीं.

अब उन्होनें मुझसे पूछा कि मैं क्या पीऊँगा? मैंने कहा कि, “चाय या कॉफ़ी कुछ भी चलेगी.” उनका प्रतिप्रश्न था, “तुमको शर्म नहीं आती, चाय या कॉफ़ी पीने की बात करते हुए?” मैंने पूछा कि, “अब इसमें गलत क्या है?” उनका जवाब था कि, “तुम इन लोगों में सबसे नौजवान हो इसीलिए यह सवाल मैंने तुमसे पूछा था, बाकी से नहीं. चाय–कॉफ़ी तो मैं तुमसे बिना पूछे ही मंगवा सकता था. जानते हुए यह सवाल मैंने तुमसे किया था. तुम्हारी उम्र में मैं व्हिस्की और सिर्फ व्हिस्की पीता था और तुम अभी भी चाय-कॉफ़ी के दायरे से बाहर नहीं निकल पाए. शर्म आनी चाहिए.” मैंने उन्हें अपनी खान-पान के बारे में बताया और वह मुझसे किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं दिखे. फिर चाय आयी.

चाय पीते-पीते मैंने उनसे कहा कि आप ने हम सबका परिचय पूछा मगर अपने बारे में कुछ नहीं बताया अभी तक. उनका जवाब था, "अभी तक आप लोगों को मेरा परिचय नहीं मिला, यह बड़े आश्चर्य की बात है? और क्या जानना चाहते हैं?" मैंने उनका नाम पूछा. जवाब मिला, "बी. एन. भट्टाचार्य." मैंने फिर पूछा कि इस बी. एन. का पूरा विस्तार क्या है. वह बोले, बदमाश, नालायक भट्टाचार्य और यह सवाल आपने पूछा इस पर मुझे आश्चर्य है. इसका अनुमान तो खुद लगा लेना चाहिए था."

फिर उन्होनें बताया कि उनके जीवन का लक्ष्य किसी पेपर मिल में चीफ पेपर मेकर बनना था, मगर कम्पनी के दुर्भाग्य से वह उसके मैनेजिंग डायरेक्टर तक बन गए थे. जब वह मैनेजिंग डायरेक्टर बने तब शहर के उस हिस्से में सारे शराबखानों में प्लास्टिक पेंट इस उम्मीद में हुआ था कि अब शराब की बिक्री खूब बढ़ेगी. यह बात अलग थी कि उस समय कंपनी का उत्पादन और आमदनी में काफी वृद्धि हुई थी.

चाय के बाद उन्होंने मुझे सारी वर्किंग ड्राइंग की एक प्रति दी, कुछ बुनियादी जानकारी पेपर मिल के बारे में बताई. सारे कागजात लेकर मैंने उनसे पूछा कि, "अगर मुझे कोई समस्या हुई तो क्या मैं उनसे मिलने के लिए आ सकता हूँ और इसके लिए सबसे उपयुक्त समय क्या होगा?" उन्होंने मुझसे पूछा,” तुम तो प्रोफेशनल हो ना?” मैंने हुंकारी भरी. फिर वो बोले, “दुनिया का सबसे पुराना प्रोफेशन क्या है?” मैंने वेश्यावृत्ति बताया, जिसे उन्होंने मेरी पीठ ठोंकते हुए स्वीकार किया और कहा कि, "हमारा और तुम्हारा पेशा भी इसी से मिलता-जुलता है. मैं दोपहर तक सोता हूँ. उसके बाद दिन भर क्लाइंट खोजता हूँ और संध्या के समय इसी ऑफिस में ‘शाजिए-गुजिये’ (सज-धज कर) खिड़की पर बैठ जाता हूँ जैसे वेश्याएं बैठती हैं. देर रात तक कभी मैं मुजरा करता हूँ और कभी क्लाइंट की वाहवाही कबूल करता हूँ. यह सिलसिला देर रात तक चलता है और इसी वज़ह से सुबह देर तक नींद नहीं खुलती. मुझसे मिलना हो तो तुम्हें शाम को ही आना पड़ेगा और उस शाम तुम अपने कोठे पर नहीं बैठ पाओगे, इस बात को याद रखना.”

मैं उनके ऑफिस में एक बार देर शाम को मिला भी...

क्रमशः - 4

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

Related Tags

Bardhamaan(2) west bengal flood(2) 1978 flood of west bengal(2) Dr. Dinesh Mishra(2) kosi river(14) kosi flood(3)

More

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के नौवें दिन की शुभकामनायें - नवरात्री नवमी माँ सिद्धिदात्री

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-राम मनोहर लोहिया जी डॉ. राम मनोहर लोहिया पुण्यतिथि की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के पाँचवें दिन की शुभकामनायें - नवरात्री पंचम माँ स्कंदमाता

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के चौथे दिन की शुभकामनायें - नवरात्री चतुर्थ माँ कूष्माण्डा

  • आरसीपी सिंह - जम्मू में इस्पात उपभोक्ताओं से हुई मुलाकात में श्री सिंह ने विकास के लिए स्टील को बताया महत्वपूर्ण

  • आरसीपी सिंह - जम्मू पहुँचने पर केन्द्रीय इस्पात मंत्री का हुआ भव्य स्वागत, अखनूर में किया जनविकास परियोजनाओं का उद्घाटन

  • आरसीपी सिंह - बिरौल में केंद्रीय इस्पात मंत्री का हुआ जोरदार स्वागत, बिहार सरकार के चौतरफा विकास की रखी बात

  • आरसीपी सिंह - बापू और शास्त्री जी ने सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाया और देश को नई दिशा प्रदान की

अधिक जानें

© rcpsingh.org & Navpravartak.com

  • Terms
  • Privacy