Ram Chandra Prasad Singh
  • होम
  • जानें
  • अपडेट
  • जुडें

बर्धमान कथा : 4, अब जिगर थाम कर बैठो मेरी बारी आई

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra Dr Dinesh kumar Mishra
  • December-31-2018

कुछ दिनों बाद मुझे बी.एन. भट्टाचार्य (बदमाश नालायक भट्टाचार्य) की फिर जरूरत पड़ी, जब मुझे फैक्ट्री में क्रेन लगेगी या नहीं और अगर लगेगी तो उसकी वज़न उठाने की क्षमता क्या होगी मालूम करना था. मैं कलकत्ते आया और उनसे मिला. अब वह एकदम बदले हुए इंसान थे. अब उनका व्यवहार एकदम मित्रवत था. तकनीकी जानकारी हासिल करने के बाद मैं उनसे कौतूहलवश पूछा कि उन्हें यह सब दफ्तर की माया फिर इकट्ठी करने की क्यों जरूरत पड़ी? आप आराम से देश-विदेश घूम सकते थे, तीर्थ यात्रा पर जा सकते थे, अपने जीवन का कोई शौक अगर बाकी रह गया हो तो उसे पूरा कर सकते थे, यह दफ्तर खोलने की क्या जरूरत थी.

उन्होनें जो जवाब दिया वह बड़ा विचित्र था. उनका कहना था कि, “मैं सचमुच उसी दिशा में सोच रहा था. मैं मदर टेरेसा के काम से बहुत प्रभावित था और रिटायर होने के बाद उन्हें एक पत्र लिख अपनी पृष्ठ भूमि बताते हुए और यह भी लिखा कि मुझे आपसे कोई आर्थिक मदद नहीं चाहिए. मैंने अपने जीवन निर्वाह के लिए यथेष्ट प्रबंध कर लिया है. मेरे पास एक कार है और पूरा समय है. आप मुझे जिस भी काम में लगाएंगी वह मैं अपनी पूरी सामर्थ्य भर करूंगा. इस पत्र का जवाब मुझे मिलने में देर हो रही थी कि एक दिन मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार मिलने की घोषणा हो गई.”

मुझे भारतीय होने के नाते उन्हें नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बहुत ख़ुशी हुई, परन्तु मेरे द्वारा उन्हें जो बिना शर्त अपना समय देने का पत्र लिख गया था, उस पर पुनर्विचार करना पड़ा.

“मुझे लगा कि अब तक मदर टेरेसा ने जो कुछ किया वह तो बहुत अच्छा था पर इस पुरस्कार मिलने के बाद उनके चाहने वाले उनका बाकी समय उनके अभिनन्दन, स्वागत समारोह, शिलान्यास, उदघाटन तथा माला पहनाने आदि में निकाल देंगे और भलमंसाहत में वह इसका विरोध कर नहीं पाएंगी. अब उनके चाहने वाले उन्हें ऐसा कोई काम नहीं करने देंगे, जिसके लिए मैं उनका मुरीद हो गया था. मैंने फिर उन्हें पत्र लिखा कि कुछ दिन पहले मैंने आप को एक पत्र लिख कर आप के साथ काम करने की इच्छा जताई थी. बदली परिस्थितियों मैं आपका समय बहुत व्यस्त हो जाने वाला है, इसलिए मैं अपना वह प्रस्ताव वापस लेता हूँ और अब मैं आप के साथ काम नहीं करूँगा.”

“तब मेरे पास कोई काम था नहीं और घर बैठना मुझे अच्छा नहीं लगता था. तब यह काम शुरू यह सोच कर किया कि मेरे चलते बहुत से परिवारों का जीवन कुछ सुधर जाएगा. मेरे संपर्क थे और काम जुटा पाना मेरे लिए कोई समस्या नहीं थी.”

मेरा भट्टाचार्य जी से एक बार सामना और हुआ जब मैं कुछ वर्षों बाद टाटानगर से ट्रेन द्वारा नागपुर किसी काम से जा रहा था. वह भंडारा-तुमसर रोड स्टेशन पर ट्रेन में बैठे और इत्तिफाकन उनकी सीट मेरे सामने वाली थी. मैंने तो उन्हें पहचान लिया पर उन्होंने मेरी ओर कोई ध्यान नहीं दिया. थोड़ी देर बाद जब वह गाडी में व्यवस्थित हो गए तब मैंने उन्हें अपना परिचय दिया और पूछा कि क्या वह मुझे याद कर पा रहे हैं? उन्होनें कुछ समय लिया पर हामी भरी. मेरा हाल चाल पूछा, कहाँ रहता हूँ, क्या करता हूँ, कहाँ जा रहे हो, बर्धमान वाली पेपर मिल का क्या हुआ आदि आदि. बातें चलती जा रही थीं, मैंने उनसे पूछा कि आप इधर कहाँ से आ रहे हैं. उन्होनें बताया कि यहाँ भंडारा में कोई पेपर मिल लगाने का प्रस्ताव है, उसी सिलसिले में वह इधर आये थे. मैंने पूछा कि अभी तक आप काम किये जा रहे हैं?

अब उनका सवाल मुझ से था. उन्होंने पूछा, “तुम्हें दिन में कितनी बार भूख लगती है, कितनी बार खाना खाते हो?”

मैंने कहा-“दो बार”

उन्होंने कहा – “मिश्रो! मुझे अभी भी तीन बार भूख लगती है और तीन बार खाना खाता हूँ. जब तीन बार भूख लगेगी, तब बाकी लोगों से मुझे डेढ़ गुना काम करना ही पड़ेगा, है ना? वही कर रहा हूँ. मैं खाली नहीं बैठ सकता.” आज पता नहीं भट्टाचार्य बाबू जीवित भी हैं या नहीं. अगर जिंदा होंगें तो सौ साल के हो गए होंगे और रिटायर होने के बाद के 40 साल उन्होंने उसी जिंदादिली से गुज़ारे होंगे, ऐसा मेरा अनुमान है. ऐसे जिंदादिल आदमी को अभी श्रद्धांजलि देने को जी नहीं करता है.

समाप्त

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

Related Tags

Bardhamaan(2) west bengal flood(2) 1978 flood of west bengal(2) Dr. Dinesh Mishra(2) kosi river(14) kosi flood(3)

More

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के नौवें दिन की शुभकामनायें - नवरात्री नवमी माँ सिद्धिदात्री

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-राम मनोहर लोहिया जी डॉ. राम मनोहर लोहिया पुण्यतिथि की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के पाँचवें दिन की शुभकामनायें - नवरात्री पंचम माँ स्कंदमाता

  • रामचंद्र प्रसाद सिंह-नवरात्री के चौथे दिन की शुभकामनायें - नवरात्री चतुर्थ माँ कूष्माण्डा

  • आरसीपी सिंह - जम्मू में इस्पात उपभोक्ताओं से हुई मुलाकात में श्री सिंह ने विकास के लिए स्टील को बताया महत्वपूर्ण

  • आरसीपी सिंह - जम्मू पहुँचने पर केन्द्रीय इस्पात मंत्री का हुआ भव्य स्वागत, अखनूर में किया जनविकास परियोजनाओं का उद्घाटन

  • आरसीपी सिंह - बिरौल में केंद्रीय इस्पात मंत्री का हुआ जोरदार स्वागत, बिहार सरकार के चौतरफा विकास की रखी बात

  • आरसीपी सिंह - बापू और शास्त्री जी ने सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाया और देश को नई दिशा प्रदान की

अधिक जानें

© rcpsingh.org & Navpravartak.com

  • Terms
  • Privacy