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पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

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  • Ramchandra Prasad Singh Ramchandra Prasad Singh
  • May-29-2020
जहां एक ओर कोरोना और लॉक डाउन के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त सा हो गया है और लोगों के सामने स्वस्थ रहते हुए आजीविका चलाना सबसे बड़ी वरीयता बनकर रह गयी है, वहीं दूसरी ओर अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिन पर लॉक डाउन का कोई असर नहीं दिखाई पड़ रहा. लॉक डाउन के तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए सहारनपुर में धड़ल्लें से यमुना का सीना चीरकर अवैध रेत खनन एवं खनिज परिवहन जारी है.

सहारनपुर के बेहत थानाक्षेत्र में उच्च अधिकारियों के लॉक डाउन में व्यस्त होने का लाभ रेत और भूखनन माफिया अच्छे से उठा रही है. जहां लॉक डाउन की शुरुआत में अवैध खनन का कार्य छोटे स्तर पर जारी था, वहीं वर्तमान में बड़े स्तर पर किया जा रहा है और वह भी शासन प्रशासन के सामने. तटवर्ती ग्रामीणों के शिकायत करने के बावजूद भी पुलिस अमला भूमाफिया के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं कर रहा है.

न केवल सहारनपुर बल्कि शामली में भी यही हालात हैं. यहां के नंगला राई में यमुना में पुस्ता बनाकर धड़ल्लें से रेट का अवैध खनन किया जा रहा है. कैराना क्षेत्र में ग्रामीणों ने इस मामले की जांच कराने के लिए प्रशासन से मांग की है. ग्रामीणों को इस बात की भी चिंता है कि कोरोना की गंभीरता को देखते हुए यह मामला और भी चिंताजनक हो जाता है क्योंकि अन्य राज्यों से भी लोग यहां अवैध खनन के लिए आ रहे हैं, जिनके संपर्क में ग्रामीण मजदूर भी आ रहे हैं और कोरोना फैलने के खतरा बना हुआ है.

ग्रामीणों द्वारा जो वीडियो बनाकर मुख्यमंत्री को भेजी गयी है, उसमें स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि कैराना क्षेत्र के मामौर गांव में यमुना नदी के बीच में बड़े बड़े पाइप डालकर उनपर मिटटी, रेत आदि से भरे हजारों प्लास्टिक के कट्टे डालकर अस्थायी पुल का निर्माण किया गया है. यह पुल यूपी को हरियाणा से जोड़ता है और इसके माध्यम से अवैध खनन दिन रात किया जा रहा है.

हालांकि शामली में मामले के संज्ञान में आने के बाद से प्रशासन ने सतर्क होते हुए मामले की जांच खनन निरीक्षक को सौंप दी है और आवश्यक कार्यवाही के भी निर्देश दे दिए हैं.

बता दें कि रेत खनन से नदियों का प्राकृतिक तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है और इससे नदियों की फ़ूड-साइकिल के खत्म होने के आसार बढ़ जाते हैं. नदी की जैव विविधता जैसे कछुओं का प्रजनन, मछलियां आदि सभी पर इसका कुप्रभाव पड़ रहा है.

नदी की प्राकृतिक संरचना के साथ साथ इससे भूजल भी प्रदूषित होता है. रेत प्राकृतिक तौर पर पानी को शुद्ध रखने का काम करता है लेकिन व्यापक स्तर पर रेत खनन होने के चलते नदियों की स्वत: जल साफ़ करने की क्षमता समाप्त हो जाती है और नदियों का जल प्रदूषित होने से उस क्षेत्र का भूजल भी प्रभावित होता है. इसके अतिरिक्त रेत खनन नदियों के प्रवाह को भी बाधित करता है, जिससे मृदा अपरदन की घटनाएं बढती हैं.

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