आज अपने विधानसभा क्षेत्र के धनसोई और तियारा बहुआरा गांवों का दौरा कर हाल ही में अपने प्रियजनों को खो चुके शोकाकुल परिवारों से मुलाकात की। दुख की इस घड़ी में उनके साथ बैठकर उनका दर्द साझा किया और उन्हें ढांढस बंधाया। यह क्षण अत्यंत भावुक थे, जहाँ आंखों में आंसू और दिलों में अपार पीड़ा देखने को मिली।
ऐसे समय में एक जनप्रतिनिधि के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि उनके अपने के रूप में उनके साथ खड़ा रहूं। मैंने परिजनों को यथासंभव सहायता प्रदान की और यह आश्वासन दिया कि भविष्य में भी हर तरह की जरूरत में वे अकेले नहीं रहेंगे।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे दिवंगत आत्माओं को अपनी शरण में स्थान दें और परिवारजनों को यह दुःख सहने की शक्ति एवं संबल प्रदान करें। जीवन अनमोल है, और अपनों को खोने का दर्द शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता — परंतु साथ, सहारा और संवेदना ही ऐसी घड़ी में संबल बनते हैं।
हम सब मिलकर इस दुःख की घड़ी को थोड़ा हल्का कर सकते हैं — यही मानवता का धर्म है।