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पूर्वी काली नदी - काली नदी को जीवंत बनाने के अभियान का शुभारंभ : नीर फाउंडेशन की सार्थक पहल

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  • Raman Kant Raman Kant
  • October-05-2018

 

“श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

 

संत शिरोमणि कबीरदास द्वारा कहे उपर्युक्त दोहे का अर्थ है कि धैर्येपूर्वक परिश्रम करने से बड़े से बड़े कार्य भी पूर्ण किये जा सकते हैं और इसका साक्षात् स्वरुप गांधी जयंती के पावन अवसर पर देखने को मिला, जब परीक्षितगढ़ रोड पर गांवड़ी ग्राम के निकट काली नदी पर सैंकड़ों की संख्या में जिला प्रशासन, नगर निगम, नीर फाउंडेशन के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनैतिक दलों, स्कूली बच्चों व ग्रामीणों ने स्वच्छता अभियान का बिगुल बजाकर काली नदी को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया. नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन कांत जी के निदेशन में अन्य सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से प्रारंभ हुई "काली नदी सेवा" मुहिम काली नदी पूर्वी के लिए निश्चय ही अब तक का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है.  

मुख्य रूप से पूर्वी काली नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा तथा फर्रुखाबाद जिलों में प्रवाहित होती है. इसका उद्गमस्थल मुजफ्फरनगर जिले का अंतवाडा ग्राम है. मुजफ्फरनगर तथा मेरठ जिलों में प्रदूषण के कारण इसका मार्ग एवं प्रवाह अनिश्चित रहता है, परंतु बुलंदशहर पहुँचकर यह निश्चित घाटी में बहती है तथा वर्ष भर इसमें जल रहता है. इसी ओर चलती हुई काली नदी कन्नौज से कुछ पहले ही गंगा में विलीन हो जाती है.

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

गौरतलब है कि नीर फाउंडेशन द्वारा डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के सहयोग से नदी का तकनीकी अध्ययन किया जा चुका है. इस अध्ययन को तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सुधार मंत्रालय की मंत्री सुश्री उमा भारती को सौंपा गया था. उस रिपोर्ट के आधार पर ही इसको नमामि गंगे योजना में शामिल किया गया था. इसके अतिरिक्त नदी किनारे के गांवों में भूजल के प्रदूषित हो जाने के परिणामरूपरूप वहां पनप रही गंभीर जानलेवा बीमारियों का एक सर्वे कराकर सम्पूर्ण विषय को माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के समक्ष रखा गया था. माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने सरकार को आदेशित किया था कि नदी किनारे के सभी गांवों के हैण्डपम्पों के पानी के नमूनों का परीक्षण कराकर प्रदूषित पानी देने वाले हैण्डपम्पों को उखाड़ कर गांव में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जाए. नदी के उद्गम पर झील बनाने की पहल भी संगठन द्वारा जुलाई माह में प्रारम्भ की गई थी.

इसी कड़ी में नीर फाउंडेशन एवं रिसर्च एंड रिलीफ सोसाईटी के सौजन्य से पंच दिवसीय काली नदी स्वच्छता एवं श्रमदान अभियान का आयोजन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से प्रशासन एवं जनता के संयुक्त प्रयासों से न केवल तकनीकी तौर पर नदी को स्वच्छ किया जाएगा, अपितु आमजन के मध्य नदीतंत्र को लेकर जागरूकता का भी प्रचार-प्रसार किया जाना निश्चित है. काली नदी स्वच्छता अभियान के केंद्रीय बिंदु एवं विशेषताएं अग्रलिखित हैं :-

पांच चरणों में अविरल की जाएगी काली नदी –

इस कार्यक्रम को पांच चरणों में विभाजित किया गया है, नदी सेवा का यह पहला चरण किला परीक्षितगढ़ रोड़ पर भावनपुर-गांवड़ी के निकट काली नदी की सफाई का कार्य प्रारम्भ किया गया है. प्रत्येक चरण में सफाई हेतु नदी की दूरी पांच किलोमीटर तय की गई है तथा काली नदी को लेकर दो स्तरों से कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है. पहले स्तर में उद्गम स्थल मुजफ्फरनगर जनपद के अंतवाड़ा गांव में करीब 150 हेक्टेयर की झील का निर्माण करना व मुजफ्फरनगर जनपद में नदी की कुल दूरी 14 किलोमीटर को साफ करना है, जबकि दूसरे स्तर में मेरठ जनपद में नदी के प्रारम्भ से लेकर मेरठ की सीमा से नदी के बाहर निकलने तक करीब 25 किलोमीटर की दूरी का साफ करना है.

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

नदी-मैपिंग के आधार पर किया जाएगा कार्य –

रमन कांत जी ने बताया कि मैपिंग के जरिये नदी की स्वच्छता का कार्य सुचारू रूप से किया जाएगा. एडीएम ई. रामचंद्र की देखरेख में नदी मैपिंग का कार्य किया जा रहा है, जिसके द्वारा नदी के बहाव क्षेत्रों और उसके गहरे या उथले खड्डों की सटीक जानकारी ली जाएगी. इस वैज्ञानिक प्रक्रिया से नदी को पुनर्जीवित करने में सरलता होगी. स्वच्छता अभियान के दूसरे दिन नदी की मैपिंग एवं अन्य तकनीकी सहायता के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के डॉ. राजीव शर्मा से वार्तालाप किया जा रहा है. इसके साथ ही रमन जी के अनुसार काली नदी के स्वच्छता अभियान में विस्तार लाने के उद्देश्य से जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सुधार मंत्रालय के राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह से भी संपर्क किया गया है, जिसके उपरांत स्वच्छता अभियान को गति मिलेगी.  

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

प्रशासन से भी मिला सहयोग –

काली नदी को जीवंत बनाने के ध्येय से किये जा रहे इस प्रयास के अंतर्गत प्रशासन की ओर से भी भागीदारी की गयी. प्रशासन की ओर से जेसीबी मशीनें, पोर्कलेन मशीन एवं बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी उपलब्ध कराए गये. विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी, पदाधिकारी, नगर निकाय के कार्यकर्ताओं ने भी श्रमदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. प्रमुख अधिकारियों में एडीएम प्रशासन रामचंद्र, सपा नेता अतुल प्रधान, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, किठौर विधायक सत्यवीर त्यागी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, रालोद जिलाध्यक्ष राहुल देव, भावनपुर से बबलू प्रधान, ख्वांजापुर से नीरज नागर, ज्ञानपुर प्रधान पति सोहराब ग्यास व नायब अली, गांवड़ी के पूर्व प्रधान इंद्रपाल सिंह, छिलौरा से पूर्व प्रधान चंद्रपाल इत्यादि इस अभियान में शामिल रहे.

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी –

मूल रूप से नीर फाउंडेशन की अध्यक्षता में चलाए जा रहे इस अभियान के अंतर्गत बहुत सी स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. काली नदी को निर्मल और अविरल रूप से प्रवाहित करने के मंतव्य के साथ रिसर्च एण्ड रिलीफ सोसाइटी के निदेशक श्री नवीन प्रधान, गांव-100 समूह के श्री राजीव त्यागी, टीम क्लीन मेरठ से अमित अग्रवाल, रिसर्च एंड रिलीफ सोसायटी के निदेशक नवीन प्रधान, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य, इनरव्हील क्लब हापुड़ ग्रेटर की अध्यक्ष रेणु अग्रवाल के साथ अन्य सदस्याएं, सेव इंडिया जन फाउंडेशन से राजेश शर्मा, सारथी संस्था से कल्पना पांडेय, परमधाम के अनुयायी, अरुणोदय की अनुभूति व रिचा, पर्यावरण क्लब से सावन कन्नोजिया व लक्ष्य निशांत इत्यादि सामाजिक संगठनों ने भाग लेकर अभियान को सार्थक बनाया. नदी सेवा कार्यक्रम को कवर करने में विभिन्न मीडियाकर्मी भी क्रियाशीलता दिखा रहे हैं, जिनमें दूरदर्शन की टीम, बैलेट बॉक्स इंडिया एवं एनडीटीवी की टीम प्रमुख रूप से शामिल रही.

  “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

ग्रामीणों और छात्रों का सराहनीय सहयोग –

मृत हो रही काली नदी को नया जीवन देने के प्रयास में काली नदी सेवा अभियान में आस पास के ग्रामों के अनगिनत ग्रामीणों, किसानों तथा स्कूल, कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भी प्रोत्साहित रूप से सहभागीदारी की. नदी सेवा में गांवडी के किसानों के अतिरिक्त खरखौदा व हस्तिनापुर नगर पंचायतों से कर्मचारी व मशीन अभियान में जुटी रही. अभियान में शामिल सभी नदी-सेवकों के लिए भोजन की व्यवस्था भी ग्रामीणों के द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है. काली सेवा अभियान के अंतर्गत स्थानीय ग्रामीण निवासियों व किसानों के अतिरिक्त बीडीएस ग्रुप ऑफ कॉलेज, डीएवी स्कूल व नोबल पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया तथा समाज में नदी-संरक्षण के प्रति जागरूकता का सन्देश भी दिया.  

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

अनवरत चलता रहेगा काली सेवा अभियान –

नीर फाउंडेशन का यह अनूठा और सकारात्मक प्रयास भविष्य में भी निरंतर प्रवाहमान रहेगा. काली नदी पूर्वी की सेवा एवं श्रमदान के अतिरिक्त नीर फाउंडेशन द्वारा तकनीकी सर्वे करके मेरठ सिंचाई विभाग द्वारा नदी के उद्गम में खतौली गंग नहर से जल प्रवाहित करने का एक मसौदा तैयार किया जा चुका है. यह प्रस्ताव केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी को भी सौंपा जाएगा. नहर का जल नदी में आने से प्रवाह बढ़ेगा, जिससे न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि भूजल की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा, जिसका लाभ किसानों और ग्रामीण निवासियों को मिलेगा.

 “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर, श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर”

अंत में दो शब्द –

“नदी हैं, तो कल है”, अंतर्मन में इसी भाव के साथ प्रारंभ किये काली नदी सेवा अभियान के माध्यम से एक सकारात्मक प्रयास किया गया, सभी तक यह सन्देश पहुँचाने के लिए कि मानव सभ्यताओं और प्रकृति के विविध आयामों को बचाए रखने के लिए नदियों को बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. नदियों की महत्ता समझने के लिए आज आवश्यकता है ऐसे ही जन-आंदोलनों और संयुक्त अभियानों की, क्योंकि आज समय है कि नदियों के सम्मान में एक साथ बहुत से हाथ केवल श्रृद्धाभाव से जुड़े ही नहीं वरन उनके संरक्षण की दिशा में आगे बढ़े.    

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