आदिवासियों के महानायक कहे जाने वाले बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी विचारधारा से झारखंड में आदिवासी समाज की दशा और दिशा को बदलकर एक नए सामाजिक एवं राजनीतिक युग की नींव रखी। भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज में पनप रहे अंधविश्वासों, सामाजिक कुरीतियों इत्यादि पर कुठाराघात किया और समाज को संगठित कर एक नया आयम दिया। आज उनकी जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए पूर्व प्रत्याशी कायमगंज विधानसभा सर्वेश अंबेडकर जी ने कहा,
"बिरसा मुंडा के नेतृत्व में 19वीं सदी के आखिरी दशक में किया गया मुंडा विद्रोह उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जनजातीय आंदोलनों में से एक है। इसे उलगुलान (महान हलचल) नाम से भी जाना जाता है। मुंडा विद्रोह झारखण्ड का सबसे बड़ा और अंतिम रक्ताप्लावित जनजातीय विप्लव था, जिसमे हजारों की संख्या में मुंडा आदिवासी शहीद हुए। महान क्रांतिकारी को सादर नमन।"