जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दाहिने हाथ माने जाते हैं आरसीपी सिंह, जो विगत दो बार (2010 एवं 2016) से जदयू के राज्यसभा सदस्य हैं। नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह की सलाह के बिना कोई भी राजनीतिक निर्णय नहीं लेते हैं, यही वजह है कि वह नीतीश कुमार के बेहद करीबी मित्र के तौर पर जाने जाते हैं। हाल ही में खुद नीतीश कुमार ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, "उनके बाद सब कुछ आरसीपी सिंह ही देखेंगे।"
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह का सफरनामा पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के समय से शुरू हुआ था, उनके कार्यकाल के दौरान आरसीपी सिंह ने निजी सचिव के पद पर कार्य किया। जिसके बाद नीतीश कुमार के रेल मंत्रालय संभालने पर बेनी प्रसाद वर्मा ने उन्हें निजी सचिव के रूप में आरसीपी सिंह को अपने साथ रखने की सलाह दी थी। तभी से वह नीतीश कुमार के साथ हैं। इतना ही नहीं दोनों के बीच बेहतरीन तालमेल होने का कारण होमटाउन एक होना और एक ही जाति से आना भी माना जाता है।
बिहार के सुशासन बाबू कहे जाने वाले मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के दाहिने हाथ कहे जाने वाले श्री आरसीपी सिंह पहले यूपी कैडर में आइएएस अफसर रहे हैं। सिविल सर्विस के दौरान वह यूपी सरकार में बहुत से अहम विभागों में काम कर चुके हैं। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खास मित्र, राजनीतिक सलाहकार माना जाता है. बिहार में नीतीश सरकार के साथ वे पहले प्रमुख सचिव के रूप में जुड़े और फिर बाद में वह सियासत में आये। वर्तमान में वह जनता दल (यूनाइटेड) से राज्यसभा में सांसद भी हैं।
श्री आरसीपी सिंह उन चंद राजनीतिज्ञों में से हैं, जो ख़बरों में रहने से ज्यादा अपने कार्य में लगे रहने के लिए जाने जाते हैं। बेहद सीधे-सहज स्वभाव और सादी जीवन शैली के धनी आरसीपी सिंह के कार्य करने के तरीके में उनका राजनीतिक कौशल झलकता है। दो दशक के भी अधिक समय से, वह बिहार के मुख्यमंत्री और जेडी (यू) अध्यक्ष श्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं और संगठन को मजबूती देने के क्रम में उनका नाम बेहद मान-सम्मान से लिया जाता है। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बनाने और बीस वर्षों में पहली बार नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को एक साथ लाने में इनकी अहम भूमिका रही है।
हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भी आरसीपी सिंह की भूमिका बेहद अहम रही और उन्होंने विभिन्न विधानसभाओं में जदयू की मजबूती के लिए अपने प्रभावशाली वक्तव्यों से जान डाल दी। वस्तुत: आरसीपी सिंह को एक बेदाग एवं साफ सुथरी छवि वाले नेता के तौर पर देखा जाता है जो बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। उनकी यही स्पष्टता और सटीक वैचारिक अभिव्यक्ति उनकी लोकप्रियता का कारण भी है।