हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली में पहले राजद सुप्रीमो श्री लालू यादव के साथ और फिर कॉंग्रेस के सुप्रीमो श्री राहुल गांधी के साथ देखे गए। विपक्ष के साथ गठजोड़ करते हुए वह यहां से वहां घूम रहे हैं, जिस पर अपने विचार प्रकट करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री आरसीपी सिंह ने कहा,
"आजकल दिल्ली में नीतीश बाबू के पैर थिरक रहे हैं। कल राजद सुप्रीमो श्रीमान लालू जी की शरण में और आज कॉंग्रेस सुप्रीमो श्रीमान राहुल गांधी जी के बग़ल में।
बहुत आनंद आ रहा है न नीतीश बाबू !
लेकिन ज़रा समाजवाद के अपने पुरखों - डॉ राम मनोहर लोहिया जी, लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के सिद्धांतों एवं विचारधाराओं को याद करिए।
कैसा लग रहा होगा डॉक्टर लोहिया जी को। ग़ैर कांग्रेसवाद की उनकी परिकल्पना, सोच और कार्य को कॉंग्रेस की गोद में जाकर आपने मिट्टी में मिला दिया। आप इससे सहमत हैं कि नहीं नीतीश बाबू?
लोहिया जी ने कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ विपक्षी एकता को अमलीजामा पहनाया था और आप कॉंग्रेस पार्टी के साथ मिलकर विपक्षी एकता की मुहिम में लगे हैं। क्या यही आपका लोहियावादी, ग़ैर कॉंग्रेसवाद विचारधारा के प्रति प्रेम है?
लोहिया जी तो लोहिया जी, आज की तस्वीर देखकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को कैसा लग रहा होगा?
क्या नीतीश बाबू आप भूल गए कि जून 1975 में इमरजेंसी के दौरान जेपी को जेल में ठूस दिया गया। आप जैसे लाखों युवाओं, छात्रों को MISA के अंदर नज़रबंद कर दिया गया। भारतीय संविधान की पूरी रूपरेखा को 42वें संशोधन के माध्यम से ध्वस्त कर दिया गया। नागरिकों के मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया। प्रेस एवं मीडिया को सेंसर कर दिया गया। संवैधानिक संस्थाओं को ध्वस्त किया गया। ये अब आपको याद नहीं है नीतीश बाबू।
आप ये भी भूल गए कि जेपी की किडनी इमरजेंसी के दौरान ही ख़राब की गई। आप ये भी भूल गए कि कितने लोगों की जानें चली गई इमरजेंसी के दौरान।
आपके भूलने का एक ही कारण लगता है, वो है आपका कुर्सी प्रेम।
आपका नारा, अब समाजवाद, सप्तक्रांति एवं संपूर्ण क्रांति का ना होकर कुर्सीवाद हो गया है। अन्यथा कैसे कोई डॉ राम मनोहर लोहिया जी, लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी के आदर्शों को मानने वाला व्यक्ति कांग्रेस जैसी वंशवादी पार्टी के साथ खड़ा हो सकता है।
नीतीश बाबू पटना पहुँचकर सबसे पहले JDU कार्यालय के कर्पूरी सभागार में लगी डॉ राम मनोहर लोहिया जी, लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की तस्वीर तो कम से कम हटा लीजिए क्योंकि जब उनके विचारों का गला घोंट ही दिया है तो उनकी तस्वीरों का क्या मतलब।
नीतीश बाबू अब आप नारा लगवाइए -
कुर्सीवाद ज़िंदाबाद! कुर्सीवाद ज़िंदाबाद!
वंशवाद ज़िंदाबाद! परिवारवाद ज़िंदाबाद!
आप धन्य हैं नीतीश बाबू!
आपको शत शत नमन।"