भोजपुरी साहित्य, कला और संस्कृति को गरिमा और ऊँचाई देने वाले भिखारी ठाकुर जी को उनकी पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। भोजपुरी का शेक्सपियर कहे जाने वाले भोजपुरी लेखक भिखारी ठाकुर बिहार के छपरा जिले के रहने वाले थे। उन्होंने अपने नाटकों में महिलाओं की समस्याओं को खुलकर जगह दी और तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, घरेलू हिंसा, आंचलिक समस्याओं पर भी वह लेखनी के माध्यम से प्रश्न उठाते थे। उनके लिखे नाटक "बिदेशिया" को आज भी साहित्य जगत में विशेष ख्याति प्राप्त है। 10 जुलाई, 1971 को भोजपुरी साहित्य जगत का चमचमाता सितारा सदा के लिए अलविदा कह गया लेकिन उनके लिखे गीत और नाटक आज भी न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्धि पाए हुए हैं और कलम के जादूगर भिखारी ठाकुर अपने अद्भुत साहित्य में अमर हैं।