इस्पात मंत्रालय के द्वारा मेकॉन लिमिटेड, फिक्की और इन्वेस्ट इंडिया के सहयोजन में पीएलआई योजना को लेकर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य पीएलआई योजना की प्रमुख विशेषताओं पर विचार करने के लिए हितधारकों को एक मंच प्रदान करना, अवसरों का लाभ उठाना और उन चुनौतियों का समाधान करना था, जिनका उद्योग अनुमान लगा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री आरसीपी सिंह के द्वारा की गई और इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस अवसर पर विशेष भाषण दिया। इस अवसर पर इस्पात मंत्रालय में सचिव श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
उद्घाटन भाषण में श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि हमने सफलतापूर्वक 1 अरब खुराक देकर टीकाकरण किया है, जो प्रशंसनीय है। महामारी के बावजूद, हमारे देश ने आर्थिक गतिविधियों की प्रक्रिया को बनाए रखा और विनिर्माण गतिविधियां उथल-पुथल से बची रहीं। श्री सिंह ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ 100 करोड़ लोगों का टीकाकरण दर्शाता है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी लक्ष्य हासिल करने में सक्षम है।
रूस की अपनी हाल की सफल यात्रा को याद करते हुए, इस्पात मंत्री ने कहा कि भारत में अनुसंधान के क्षेत्र में एक उत्कृष्टता केन्द्र भी होना चाहिए ताकि गुणवत्ता वाले स्टील के उत्पादन को और बढ़ाया जा सके तथा एक राष्ट्र के रूप में आयात पर निर्भरता कम हो सके। उन्होंने कहा कि योजना का केन्द्र बिन्दु इक्विटी और समग्रता है। “हमें इस्पात में अपने अनुसंधान एवं विकास को विकसित और मजबूत करने की आवश्यकता है। विश्व प्रसिद्ध अनुसंधान एवं विकास संस्थान और विशिष्टता वाले इस्पात के विकास में अग्रणी आईपी बार्डिन इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। हमें इस पीएलआई योजना को सफल बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।" मंत्री ने इस्पात उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के महत्व पर भी जोर दिया।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रगतिशील कदम उठाने के कारण भारत में स्टील की मांग में कभी कमी नहीं आई है। पीएलआई की परिकल्पना एक ऐसा कदम है, जिसमें हम आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सकते हैं।
इस्पात मंत्री ने कहा कि आयात प्रतिस्थापन और निर्यात की बहुत बड़ी गुंजाइश है। इस्पात मंत्रालय और मेकॉन ने पीएलआई योजना तथा इसके दिशानिर्देश तैयार किए हैं जो हितधारकों, उद्योग और अंतर-मंत्रालयी (नीति, व्यय विभाग) चर्चा पर आधारित हैं।