केंद्रीय इस्पात मंत्री, श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय इस्पात उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा आयरन ओर फाइन्स (लौह अयस्क का एक रूप) के निपटान की स्थिति की समीक्षा के लिए सीपीएसई के प्रतिनिधियों और इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। इन सीपीएसई में भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) शामिल हैं।
श्री सिंह ने कहा कि चूंकि खान मंत्रालय ने सेल को उसके विभिन्न बंधक खानों में पड़े 70 एमटी डंप फाइन्स/टेलिंग्स के भंडार को बेचने की अनुमति दी है, इस भंडार का जल्द से जल्द निपटान किया जाना चाहिए और उसे उद्योग को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। एक ठोस कार्य योजना तैयार करने और उस पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने सेल को लौह अयस्क के रूप में इस राष्ट्रीय संपदा के लिए स्वामित्व और जवाबदेही लेने और इन संसाधनों के मुद्रीकरण में समय बर्बाद नहीं करने का निर्देश दिया। शीर्ष प्रबंधन को इन संपत्तियों के नकद मूल्य के संदर्भ में सोच और दृष्टिकोण को बदलना चाहिए और दायरे से बाहर निकलकर सोचना चाहिए। संसाधन उपयोग को अधिकतम करें।
इससे पहलेसेल के चेयरमैन औरएनएमडीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ने बाजार में अधिक अधिशेष कच्चा माल सुनिश्चित करने के लिए अपने उत्पादन में तेजी लाने के साथ-साथ आयरन ओर माइन्स के निपटान की खातिर अपनी वर्तमान और भविष्य की कार्य योजना के बारे में जानकारी दी।