"मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।" महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विचारक, लेखक, समाज सुधारक एवं लोकमान्य के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक जी एवं भारत मां के वीर सपूत देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान निर्भीक क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।
स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने सहित जन स्वीकार्यता के कारण ही बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि से सम्मानित किया गया। बाल गंगाधर तिलक प्रखर वक्ता, तार्किक महायोगी और “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है” का मूलमंत्र देने वाले भारत माता के ऐसे सपूत थे, जिन्होंने कड़ा आंदोलनात्मक रुख अख्तियार कर होमरूल लीग की स्थापना की और ब्रिटिश हुक्मरानों को खुली चुनौती देते हुए समूचे ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया।
स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तिलक जी ने केशरी और मराठा अखबार निकाला। स्वतंत्रता के इस महायज्ञ में लाल-बाल-पाल की जिस तिकड़ी का जिक्र भारतीय इतिहास में आता है, उसके जनक भी बाल गंगाधर तिलक थे। बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल व लाला लाजपत राय जैसे महान नेताओं की तिकड़ी ने अपनी त्याग-तपस्या से काँग्रेस और स्वतंत्रता आन्दोलन को जो शक्ति प्रदान की और जो बलिदान दिया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।