Ram Chandra Prasad Singh राम नवमी, भगवान श्री राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हर्ष एवं उल्लास के इस पर्व के मनाए जाने का उद्देश्य है - हमारे भीतर "ज्ञान के प्रकाश का उदय"। भगवान राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था और उनके आने से समस्त अयोध्या नगरी झूम उठी थी। भगवान राम ने त्रेतायुग में धर्म की स्थापना के लिए धरती पर एक बालक के रूप में जन्म लिया था। देशभर में यह पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

"राम"...मात्र दो शब्दों और एक मात्रा के संयोजन से बना एक शब्द है, लेकिन इस छोटे से शब्द में सार्थक जीवन जीने का प्रत्येक सूत्र छिपा हुआ है। राम सत्य की पराकाष्ठा हैं, कुछ तो विशेष है इस नाम में तभी गाँधी जी ने मृत्यु से पहले “हे राम” उच्चारित किया था। भगवान राम के जीवन का प्रत्येक पहलू अपने आप में प्रेरक है और जीवन को बदलने की क्षमता रखता है। आज जरुरी है समझा जाये कि युगपुरुष श्री राम के जीवन के वो कौन से गुण हैं, जिनकी कमी के चलते हमारा जीवन मूल्यविहीन हो रहा है। इन गुणों को जानना होगा, परखना होगा, आत्मबोध कर अपनाना होगा ताकि जीवन का हर क्षण पर्व की तरह मनाया जा सके। राम नवमी के पर्व के साथ ही देवी दुर्गा के नवरात्रि पर्व का भी समापन होता है। भगवान राम ने भी धर्मयुद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी दुर्गा की आराधना की थी। इस तरह इन दो त्यौहारों का एक साथ होना पर्व के महत्व को दोगुना कर देता है।